नैतिक और आध्यात्मिक में, हैं हमारे अपने प्यारे संस्कार। नैतिक और आध्यात्मिक में, हैं हमारे अपने प्यारे संस्कार।
कोई शब्द नहीं मेरे पास जो तुमको बयान करे माँ, लेखनी की बिसात नही जो तुम्हें परिभाषित कोई शब्द नहीं मेरे पास जो तुमको बयान करे माँ, लेखनी की बिसात नही जो तुम...
अब तो हनुमान बनो असंभव को संभव करो। अब तो हनुमान बनो असंभव को संभव करो।
हमें नहीं गिला उनके जाने का बस आज हो तो मौका मिला सोचने का पहले हम डूब जाते थे यादो में आज तो वो है ... हमें नहीं गिला उनके जाने का बस आज हो तो मौका मिला सोचने का पहले हम डूब जाते थे य...
यह कविता हमारे अनेकता को दर्शाती है। हम जाती-धर्म के बंधन में बंधकर एक दूसरे को भूल जाते हैं। क्या य... यह कविता हमारे अनेकता को दर्शाती है। हम जाती-धर्म के बंधन में बंधकर एक दूसरे को ...
ये हरी भरी वसुंधरा हमारी निगहबान है, रंग भिन्न ,भाषा भिन्न और बोली भी भिन्न है। सबक ये हरी भरी वसुंधरा हमारी निगहबान है, रंग भिन्न ,भाषा भिन्न और बोली भी भिन्न ह...